- Author: Gurpreet Safri
- Genre: Poetry
- Language: Hindi
- Pages: 117 Pages
- Country: India
Parmarth Ki Khoj
₹250.00
“परमार्थ की खोज” माध्यम से यह स्पष्ट करने की कोशिश की है कि इंसान का सारा जीवन एक खोज में गुज़र रहा है। क्या हम असल में वो खोज लेते हैं जिसे हम पाना चाहते हैं? जो लोग बाहरमुखी हैं वो बाहरी वस्तुऐं – धन, दौलत, संपदा की खोज में लगे हुए है, जिन लोगों को यह भौतिक पदार्थ मिल जाते हैं वो इस परमार्थ की खोज की ओर क़दम बढ़ाते हैं, लेकिन खोज तो निरंतर जारी रहती है, ऐसी खोज में लगा हुआ इंसान कभी-कभार भटक भी जाता है। लेकिन परमार्थ एक ऐसी अवस्था है जहाँ कोई खोज नहीं रह जाती; मन स्थिरता से लबालब भर जाता है, मनुष्य की इसी मानसिक अवस्था को परमार्थ कहा जाता है। यहां कोई खोज नहीं रह जाती है, ना तो संसार की और ना ही निरंकार की। क्यूंकि हमारी साँस की एक एक धार से भी जो पास हो उसकी खोज कैसी? इन कविताओं के माध्यम से कुछ खोजा नहीं गया है, बल्कि महसूस किया है क़ुदरत के एक-एक ज़र्रे में उस असीम को जिसे परमार्थ का नाम दिया है।
Weight | .195 kg |
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Dimensions | 14 × 3 × 22 cm |
Author | Gurpreet Safri |
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